Saturday, February 9, 2013

nothing but something

तुम्हारी झील सी  आँखों की कश्ती में,
तुम्हारे मद भरे होंठों की मस्ती में,
मै पंछी बन गया तेरी मोहब्बत का,
तलाशूँ इक बसेरा तेरी बस्ती में ।
सहर से शाम तक भटका मिली न तू,
तेरी यादों में मै तड़पा मिली न तू,
तड़प तड़प के धड़कनें  थम सी गयी,
थमी  धड़कन रुकी सासें मिली न तू ।

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